Bhagwan shiv ki third eye ka rahasya

bhagwan shiv ki ani tisri ankhe kab kholte hai : भगवान शिव की तीसरी आँख  चेतना, ज्ञान और शक्ति का तेजस्वी रूप  जब अन्याय, अहंकार, या अधर्म अपनी सीमा पार कर जाता है – तभी यह शक्ति प्रकट होती है।

तीसरी आंख खुलने पर अग्नि प्रकट होती है जो असत्य, अहंकार, और बुराई का नाश करती है। यह विनाश तबाही नहीं, बल्कि पुनरज्जीवन के लिए होता है। जैसे कामदेव को भस्म उ किया और देवतायो के प्रथाना करने पर काम देव को  अनाकार रूप में पुनः जीवित किया । कथाओं के अनुसार सृष्टि को सुचारू रूप से चलाने के लिए शिव के पुत्र की आवश्यकता थी लेकिन भगवान शिव मोह माया से दूर रहकर तपस्या में लीन थे। ऐसे में देवताओं ने प्रेम और कामवासना के देवता कामदेव और देवी रति को शिव की तपस्या भंग करके उनमें प्रेम और कामवासना की ऊर्जा संचार करने के लिए सहायता मांगी। कामदेव और देवी रति अपनी जिम्मेदारी निभाने के लिए शिव के सामने नृत्य करके उन पर पुष्प बाण छोड़ने लगे। शिव की तपस्या जैसे ही भंग हुई, उन्होंने अपनी तीसरी आंख खोलकर कामदेव को भस्म कर दिया। आमतौर पर शिव की तीसरी आंख को विनाश से जोड़कर देखा जाता है।

bhagwan shiv ki tino ankhe se kiski parichay karwati hai :

भगवान शिव के तीसरी आँख खोलने का मतलब भगवान शिव की तीसरी आँख कब खुलती है?भगवान शिव को देवो के देव महादेव कहा जाता है।  शिव पुराण के अनुसार, भगवान शिव अनादि और अजन्मे हैं, यानी उनका न तो कोई आदि है और न ही अंत  इन्हे  त्रियंबके के नाम से भी जाना जाता है जिसका संस्कृत में अर्थ है तीसरी आँख। उनकी दाहिनी आँख सूर्य का प्रतीक है जबकि उनकी बाईं आँख चंद्रमा का प्रतीक है।

bhagwan shiv ki tisri aankhe kaise uttpan huaa :

भगवान shiv की तीसरी आंख, जिसे “त्रिनेत्र” भी कहा जाता है, एक प्रसिद्ध पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान शिव को तीसरा नेत्र माता पार्वती के कारण मिला। पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार माता पार्वती ने खेलते हुए भगवान Shiv की दोनों आंखों को अपने हाथों से ढक लिया, जिससे पूरे ब्रह्मांड में अंधेरा छा गया। तब भगवान shiv ने अपने माथे पर एक ज्योतिपुंज प्रकट किया, तीसरी आंख प्रकट हुआ , जिससे प्रकाश फैला और सृष्टि में फिर से रोशनी आई। 

यह घटना भगवान shiv के तीसरे नेत्र की उत्पत्ति के रूप में जानी जाती है, और इसे विनाश का प्रतीक भी माना जाता है। इस तीसरे नेत्र को ज्ञान का नेत्र भी कहा जाता है, जो भूत, भविष्य और वर्तमान को देखने की क्षमता रखता है। 

Har manushya ke pass hoti hai tisri aankhe :

पुराण में वर्णित है कि मनुष्य इतना साधारण जीव नहीं है, जैसा कि वे खुद को समझता है। मनुष्य में कई अद्भुत शक्तियां हैं। ये सभी शक्तियां ऊर्जा के रूप में हमारे शरीर के भीतर ही मौजूद  हैं। बस समझने और जानने की जरूरत है।। तीसरी आंख का खुलना सत्य का मूल है। तीसरी आंख खोलने का अर्थ किताबों से जानकारी बटोरना नहीं, बल्कि जीवन को नई सोच के साथ बिकसित करना है बिना किसी दूसरे को नुकसान पहुचाये।। सच्चा ज्ञान तीसरी आंख खुलने से ही मिलता है।

Manav ke mathe par tisri aankh kisko darshata hai :

हिंदू धर्म में, तीसरी आँख का तात्पर्य आज्ञा (या भौंह) चक्र से है। हिंदू धर्म और बौद्ध धर्म दोनों में, तीसरी आँख को माथे के बीच में, भौंहों के जंक्शन से थोड़ा ऊपर स्थित कहा जाता है, जो ध्यान के माध्यम से प्राप्त ज्ञान का प्रतिनिधित्व करता है।

तीसरी आंख भौतिक आंखों से परे देखने की क्षमता का प्रतीक है, जो हमें सत्य और ज्ञान की गहरी समझ प्रदान करती है। यह हमें अपनी आंतरिक शक्ति और क्षमता को पहचानने में मदद करती है। तीसरी आंख को खोलना आध्यात्मिक विकास और आत्मज्ञान का मार्ग है। 

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